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Last Updated: Feb 16, 2023
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पीलिया का होम्योपैथिक उपचार

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Dr. Mohit KumarGeneral Physician • 5 Years Exp.MBBS,Advanced Trauma Life Support (ATLS)
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पीलिया क्या है

पीलिया एक ऐसी चिकित्सकीय अवस्था है जिसके कारण व्यक्ति की त्वचा, म्यूकस मेंब्रेन और आंखों का रंग पीला पड़ जाता है। रोगी को पेशाब भी पीला हो सकता है। दरअसल यह कोई बीमारी नहीं है बल्कि एक अंतर्निहित बीमारी का संकेत है।

पीलिया का दूसरा नाम इक्टेरस भी है। इससे पहले कि हम पीलिया के लिए 5 सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवाओं के बारे में बात करें, आइए समस्या को थोड़ा बेहतर समझें।

रक्त में बिलीरूबिन की मात्रा बढ़ने से पीलिया होता है। यह पीले-नारंगी रंग का होता है। बिलीरुबिन शरीर में आरबीसी के टूटने का उप-उत्पाद है। आरबीसी के टूटने के बाद लिवर इसे खून से प्रोसेस करता है।

आरबीसी की क्षति से बिलीरुबिन का स्तर बढ़ सकता है। साथ ही, इस बिलीरुबिन को प्रोसेस करने में लिवर की अक्षमता भी इसे शरीर में एकत्रित करने का कारण बन सकती है।

सारांश - पीलिया में पीड़ित की त्वचा, म्यूकस मेंब्रेन और आंखों का रंग और पेशाब पीला पड़ जाता है। दरअसल यह अंतर्निहित बीमारी का संकेत है। रक्त में बिलीरूबिन की मात्रा बढ़ने से पीलिया होता है।

पीलिया किस कारण होता है

पहले ही जैसा बताया जा चुका है, पीलिया का मतलब बिलीरुबिन के बढ़ने के कारण पीले रंग का मलिनकिरण होता है। बिलीरुबिन की यह वृद्धि विभिन्न कारणों या बीमारियों के कारण हो सकती है।

यह लाल रक्त कोशिकाओं के बढ़ते विनाश के कारण हो सकता है। ऐसे में हो सकता है कि लिवर पूरे बिलीरुबिन को प्रोसेस न कर पाए। एक अन्य स्थिति में, आरबीसी का विनाश नहीं बढ़ता है लेकिन लिवर बिलीरुबिन की सामान्य मात्रा को भी संसाधित करने में सक्षम नहीं होता है।

लिवर से जुड़ी कई बीमारियों में ऐसा हो सकता है। तीसरी स्थिति में शरीर प्रसंस्कृत बिलीरुबिन को बाहर नहीं निकाल पाता है और यह रक्त में एकत्रित हो जाता है। पीलिया के कुछ सामान्य कारण नीचे दिए गए हैं-

  • मलेरिया- मलेरिया आरबीसी की क्षति का कारण बन सकता है जिसके परिणामस्वरूप बिलीरुबिन बढ़ जाता है।
  • रक्त विकार- सिकल सेल रोग या थैलेसीमिया पीलिया का कारण बन सकता है।
  • हेपेटाइटिस- लीवर के संक्रमण से पीलिया हो सकता है जैसा कि हेपेटाइटिस ए या हेपेटाइटिस बी या हेपेटाइटिस सी के विभिन्न रूपों में होता है। अधिकतर, ये संक्रमण मूल रूप से वायरल होते हैं। वे तीव्र या जीर्ण हो सकते हैं।
  • एल्कोहलिक सिरोसिस- लंबे समय तक बहुत अधिक शराब का सेवन करने से लिवर सिरोसिस हो सकता है। ऐसे मामलों में लिवर अपना सामान्य काम नहीं कर पाता है।
  • पित्त नलिकाओं की रुकावट- पित्त नलिकाएं पतली नलियां होती हैं जो पित्त को यकृत और पित्ताशय से आंतों तक ले जाती हैं। कुछ मामलों में, वे अवरुद्ध हो सकती हैं। यह पित्त पथरी या कुछ कैंसर के कारण हो सकता है।
  • दवाएं- स्टेरॉयड, गर्भ निरोधक गोलियां या दर्द निवारक जैसी कुछ दवाएं भी लिवर को नुकसान पहुंचा सकती हैं और बिलीरुबिन के स्तर को बढ़ा सकती हैं।

सारांश- पीलिया के सामान्य कारणों में मलेरिया, रक्त विकार, हेपेटाइटिस, एल्कोहलिक सिरोसिस, पित्त नलिकाओं की रुकावट जैसे बहुत से कारण हैं।

पीलिया के लक्षण

पीलिया का मुख्य लक्षण आंखों का पीला पड़ना है। यह आमतौर पर सबसे पहला लक्षण होता है। बाद में यह पीलापन पूरे शरीर में मुंह, छाती, पेट और त्वचा तक फैल जाता है। इसके कुछ अन्य लक्षण भी हैं-

  • आंखों, मुंह और त्वचा का पीलापन। यह पीलापन त्वचा के नीचे फैल जाता है। गंभीर मामलों में, आंखें भूरी भी हो सकती हैं।
  • पेशाब भी गहरे पीले रंग का हो जाता है।
  • मल सामान्य भूरे रंग के बजाय हल्के पीले रंग का हो सकता है।
  • पूरे शरीर में खुजली हो सकती है।
  • थकान की अनुभूति हो सकती है और व्यक्ति आसानी से थक जाता है।
  • मतली या उल्टी हो सकती है।
  • कुछ मामलों में रोगी को पेट में दर्द हो सकता है।
  • रोगी का वजन घट सकता है ।
  • पीलिया के अन्य लक्षणों के साथ कुछ रोगियों को बुखार भी हो सकता है।

सारांश - पीलिया के सामान्य लक्षणों में आंखों, पेशाब , मुंह और त्वचा का पीलापन, पूरे शरीर में खुजली, थकान, उल्टी या पेट में दर्द हो सकता है। कुछ मामलों में रोगी का वजन घट सकता है।

पीलिया का इलाज

प्रचलित एलोपैथिक चिकित्सा प्रणाली में शायद ही पीलिया का कोई इलाज है। ऐसा इसलिए है क्योंकि लिवर सभी एलोपैथिक दवाओं को प्रोसेस करता है।

जब लिवर पहले से ही काम नहीं कर रहा हो, कोई एलोपैथिक दवा देने से समस्या और भी बढ़ सकती है। इसलिए डॉक्टर पाचन तंत्र के लिए सिर्फ आराम करने की सलाह देते हैं।

उन्हें लगता है कि लिवर अपने आप फिर से सामान्य रूप से काम करना शुरू कर देगा। इसलिए वे भारी भोजन, मसाले और नॉन वेज न लेने की सलाह देते हैं। डॉक्टर भी ऐसे खाद्य पदार्थों की सलाह देते हैं जो पेट के लिए हल्के हों जैसे गन्ने का रस।

सारांश- एलोपैथी में पीलिया का कोई खास इलाज नही है। डाक्टर आपको परहेज और आराम की सलाह देते हैं।

पीलिया का होम्योपैथिक इलाज

एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति के विपरीत, होम्योपैथी में पीलिया के लिए अच्छा उपचार उपलब्ध है। ऐसी कई होम्योपैथिक दवाएं हैं जो लिवर के सामान्य कामकाज को पुनर्जीवित कर सकती हैं।

ये होम्योपैथिक दवाएं बहुत प्रभावी हैं और लिवर की कार्यप्रणाली को जल्दी ठीक करती हैं। उपचार शुरू करने के तुरंत बाद बिलीरुबिन का स्तर कम होना शुरू हो जाता है। सही होम्योपैथिक दवा का चुनाव रोगी के लक्षणों पर निर्भर करता है।

होम्योपैथी में पीलिया का कोई निश्चित इलाज नहीं है। जैसा कि अन्य मामलों में होता है, प्रत्येक रोगी के लिए उपचार को अलग-अलग करना होता है। एक रोगी में मौजूद सभी लक्षणों को ध्यान में रखा जाता है।

सारांश - होम्योपैथी में पीलिया के लिए कई प्रभावी दवाएं हैं। सही होम्योपैथिक दवा का चुनाव रोगी के लक्षणों पर निर्भर करता है। प्रत्येक रोगी के लिए उपचार अलग-अलग हो सकता है।

पीलिया के लिए सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवाएं

पीलिया के इलाज के लिए कई होम्योपैथिक दवाएं हैं। किसी रोगी को कौन सी दवा देनी है यह उसके लक्षणों पर निर्भर करता है।

कार्डुस मैरियनस

यह पित्ताशय की भागीदारी के साथ पीलिया के लिए सबसे अच्छी होम्योपैथिक दवाओं में से एक है। सेंट मैरी थीस्ल इस दवा का सामान्य नाम है। यदि रोगी को लिवर क्षेत्र में दर्द होता है, लिवर बढ़ा हुआ है, लगातार मिचली आ रही है और उल्टी हो रही है।

इसके अलावा रोगी को हरे अम्लीय द्रव की उल्टी हो रही है, कब्ज और दस्त हो रहे हैं, तो उसे इस दवा से लाभ हो सकता है।

इन लक्षणों में रोगी को यहां तक कि लिवर की बीमारी के साथ टांगों, पैरों और अन्य आश्रित भागों में सूजन भी हो सकती है।

चेलिडोनियम

यह दाहिने कंधे के ब्लेड के ठीक नीचे दर्द के साथ पीलिया के लिए सबसे अच्छी होम्योपैथिक दवाओं में से एक है।

यह दवा जिन रोगियों को दी जाती है उनके लक्षणों में दर्द स्थिर रहता है, पूरे पेट में आर-पार और लिवर क्षेत्र के आसपास कसाव का अहसास होता है, गर्म चीजों को खाने-पीने की इच्छा होती है। मुँह का स्वाद कड़वा होता है।

नक्स वोमिका

यह शराब के दुरुपयोग के कारण पीलिया के लिए सबसे अच्छी होम्योपैथिक दवाओं में से एक है। इसमें लम्बे समय तक शराब का सेवन करने से लिवर खराब हो जाता है।

रोगी अकसर अधिक तेल मसाले युक्त भोजन का सेवन भी कर रहे होते हैं। इसमें  रोगी प्राय: चिड़चिड़े स्वभाव का होता है। ठंड के प्रति असहिष्णुता होती है और हर समय ठंडक महसूस होती है।

पेट में दर्द होता है जो आमतौर पर खाने के बाद बढ़ जाता है। सुबह के समय मतली अधिक होती है। लिवर खराब होने लगता है। लिवर के क्षेत्र में तीव्र दर्द होता है। इन लक्षणों में नक्स वोमिका काफी लाभकारी होती है।

ब्रायोनिया

यह बढ़ी हुई प्यास के साथ पीलिया के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवाओं में से एक मानी जाती है। इसमें म्यूकस मेंब्रेन का सूखापन बढ़ जाता है। यह सूखापन बढ़ी हुई प्यास में परिलक्षित होता है।

रोगी को हमेशा प्यास लगती है। वह बड़ी मात्रा में पानी पीता है। यह पानी की कमी कब्ज का कारण भी बनती है। मल सूखा और सख्त होता है। लिवर के आसपास दर्द होता है। पेट में दबाव पड़ने से दर्द बढ़ सकता है।

पोडोफाइलम

यह लिवर क्षेत्र में दर्द के साथ पीलिया के लिए सबसे अच्छी होम्योपैथिक दवाओं में से एक है। इसमें रोगी को पेट में कमजोरी या डूबने की जैसी अनुभूति होती है। रोगी उदर क्षेत्र में दर्द की शिकायत करता है।

पेट के बल लेटने से यह दर्द दूर हो जाता है। पीलिया के साथ डायरिया भी हो सकता है। इस दवा को लेने से लक्षणों में राहत मिल सकती है।

निष्कर्ष

पीलिया यानी जॉनडिस किसी अंतर्निहित बीमारी का संकेत है। रक्त में बिलीरूबिन की मात्रा बढ़ने से पीलिया होता है। इसेक लक्षणों में आंखं, त्वचा पेशाब का पीलापन से लकेर थकान, वजन घटना तक शामिल है। इसका होम्योपैथी में कई इलाज है। कई दवाएं हैं पर कौन से दवा इस्तेमाल होगी यह रोगी के लक्षणों पर निर्भर है। 

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